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जिन्दगी, तेरी कमी खलती है

जिंदगी अपनी राह चलती है । तमन्नाएं  यूं ही बस मचलती है ॥  आस से प्यास कभी बुझती नहीं ।  उम्रभर मृगमरीचिकाएं  छलती हैं ॥  दौर ऐसे बहोत आते हैं जहाँ ।  जिंदगी, तेरी कमी खलती है ॥  काश ऐसा अगर हुआ होता ।  सोचकर, हसरतें हाथ मलती  हैं ॥  बस में जो है, कसर नहीं रक्खी ।  क्या करे गर, होनी टाले नहीं टलती है ॥  लाख कोशिश से भी जहां दाल नहीं गलती है ।  वहां भी उम्मीद की एक लौ जरूर जलती है ॥  खुदा धरती का हाल देख सोच पड़े ।  क्या इंसान बनाना बड़ी गलती है ॥  देर हो सकती है, अंधेर नहीं  ।  दुआएं सच्चे दिल की जरूर फलती हैं ॥  पाखी घर लौट रहे, चलो 'केशव' ।  कि सुरमई स्याह शाम ढ़लती है ॥