नरेंद्र दाभोलकर के प्रति
एक नरेंद्र सुदूर अतीत में
हुए थे |
एक नरेंद्र तुम थे;
एक नरेंद्र कोई और है |
एक नरेंद्र ने हिन्दू धर्म-समाज
को
उसकी जड़ निद्रा से जगाया,
देशवासियों को उनका खोया
आत्मविश्वास लौटाया
शंखनाद किया ‘जागो फिर एक बार’
का ;
एक नरेंद्र तुम थे जो धर्म
के नाम पर अपनी
बाजार चलाते बाबाओं की पोल
खोलते रहे,
हर ढोंगी बाबा को तर्क और
विज्ञान के
तराजू पर तोलते रहे,
अंधविश्वासों के खिलाफ
चीख-चीख कर बोलते रहे |
एक और नरेंद्र पता नहीं
क्या कर रहा है |
एक नरेंद्र ने नर की सेवा को नारायण सेवा समझा
धर्म का मर्म दीन-दुखियों की सेवा बताया
अपने गुरु के सर्वधर्म सद्भाव के सन्देश को
जन-जन तक पहुचाया |
देश के मस्तक को गौरवान्वित किया विश्व के आगे |
और फिर, अपने
कर्तव्यों का पालन कर
महासमाधि में लीन हुए |
तुमको कुछ गुंडों ने
गोलियों से छलनी कर दिया
गुंडे जो भेजे गए थे उन
धर्म के ठेकेदारों द्वारा
जिनका बाजार मंदा पड़ता था
तुम्हारी वजह से ;
जो कांपते थे की अगर तुम
अंधविश्वास विरोधी
कानून बनवाने के अपने मिशन
में कामयाब हो गये
तो उनका और उनके मुनाफेदार
धंधे का क्या होगा |
ये गुंडे गोडसे की परंपरा के गुंडे थे
जिन्हें हर गाँधी से अपने धर्म के धंधे को खतरा दीखता है |
भूल गए थे तुम की यह देश
अभी तक
धर्म की गुलामी से नहीं उबरा
है
नौटंकी करनेवाले नचनिये
बाबाओं के
करोड़ों भक्त होते हैं यहाँ
कोई बाबा समोसे खिलाकर
कल्याण करते हैं
तो कोई एकांत में बुलाकर |
बाबाओं के इस देश में तुमको
तो गोली ही मिलनी थी |
देखना है की तुम्हारे विचार
और काम को
कब तक बचने देते हैं ये बाबा
लोग |
नरेंद्र दाभोलकर,
निराश न हो |
कुछ सिरफिरे युवा
अभी भी तुम्हारे जैसा ही
सोचते हैं
बाबाओं के इस देश में रहते
हुए भी |
शायद वे बदल पाए इस देश की
सूरत
जहाँ वैज्ञानिक सोच को
विकसित करना
बस संविधान में एक मौलिक
कर्त्तव्य भर है
जिसको निभाने की जिम्मेदारी
हर कोई दूसरे के माथे पर
डालता है |
एक नरेंद्र सुदूर अतीत में
हुए थे |
एक नरेंद्र तुम थे;
एक नरेंद्र कोई और है |
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