संदेश

अगस्त, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भ्रष्टाचार को भारत से भगाने के लिए फिर से एक स्वाधीनता संग्राम की जरुरत है?

  भ्रष्टाचार को भारत से भगाने के लिए फिर से एक स्वाधीनता संग्राम की जरुरत है? शायद किसी ने सच ही कहा है कि भ्रष्टाचार भारत की जीन में है. (हाल में नॉएडा में SDM दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित किये जाने के राज्य सरकार के फैसले ने भारत में ईमानदारी और भ्रष्टाचार पर इक नयी बहस छेड़ दी है | खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कारर्वाई करनेवाली इस SDM को इक दुसरे मामले में रातो-रात निलंबित कर दिया गया | सारे ईमानदार लोग सदमे और आक्रोश में हैं |  एक तरह की असहायता माहौल में व्याप्त है. रीढ़ की हड्डी खो सी गयी है, ऐसे में लगता है कि ईमानदार होना कोई गुनाह है क्या? इसी परिदृश्य में भारत में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मैं केशवेन्द्र अपने विचार आप लोगों से बाँट रहा हूँ | आपके विचारों और प्रतिक्रियों का इंतजार रहेगा |) भारत को अंग्रेजों ने जितना न लूटा, उससे ज्यादा इसी देश के भ्रष्टाचारियों ने लूटा. यही वो महान देश है जहाँ  ट्रकों के पीछे कई बार हमें देखने को मिलता है- “सौ में नब्बे बेईमान, फिर भी मेरा देश महान |” और, उसी ट्रक को कहीं-न-कहीं, कोई-न-कोई सरकारी मुलाजिम रोककर वसूली करता है. आखिर