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आम की ख्वाहिश लिए बबूल बोता आदमी

कपड़ों के हिसाब से फिट होता आदमी खुद की अर्थी, खुद के कांधे ढ़ोता आदमी. मरियल रिक्शेवाले का कचूमर निकालते गालियाँ बकता जा रहा था मोटा आदमी. जितने खरे आदमियों के उठाये हैं मुखौटे हंस के अन्दर से निकला है खोटा आदमी. देखो जिधर भी, मिल जायेगा  तुम्हें उधर आम की ख्वाहिश लिए बबूल बोता आदमी. हर आँख से हर आंसू पोछे कैसे कोई भला जिधर देखो उधर मिलेगा कोई रोता आदमी . चेहरे के जंगल में भावनाएं लुप्तप्राय हैं रोबोटों सा दिखने लगा है मशीन होता आदमी. इतनी अँधेरी रात में भी कोई दिया जल रहा नींद में मुस्कराया है सपने संजोता आदमी .

समानुभूति

ओ वाचाल वाणी ! एक दिन के लिए मूक हो कर देख, शायद तुझे समझ आ सके दर्द उनका जिनकी जुबां नही है या जो जुबां होते हुए भी बे-जुबां है. ओ चंचल नयन ! एक दिन पलकों के फाटक बंद करके देख, शायद तू समझ पाए ज्योतिविहीन जीवनों की व्यथा और 'तमसो मा ज्योतिर्गमय' का अर्थ. ओ बावरे श्रवण ! एक दिन के लिए कर्ण-पटलों को बंद कर के देख, शायद तू अनुभव कर सके उनकी व्यथा जो सुन नही सकते एक शब्द भी प्यार भरा. सहानुभूति नही समानुभूति उपजाओ. वंचितों के जीवन की वंचना मिटाओ. फूल बन के खुशियों की खुशबू लुटाओ कर सको यदि ये तो सार्थक होगा जीना तुम्हारा.

जब कबीर सा कोई फक्कड़ लिखे ग़ज़ल

बहुत दिनों से लिख नहीं पाया कोई भी ग़ज़ल तन्हाई में लिख ना डालूं कोई रोई-सी ग़ज़ल दुनिया की तेज धूप में कुम्हलाये अहसासों के पौधे आह! कितनी मेहनत से मैंने बोई थी ग़ज़ल जब कबीर सा कोई फक्कड़ लिखे ग़ज़ल दिल की भूख मिटाती है वो लोई-सी ग़ज़ल दुनिया की गंदगी ने हर बार दिक दिया चाहा तो था लिखना गंगाज़ल से धोई-सी ग़ज़ल चाहा था ऐसी ग़ज़लें हों, झकझोर डाले दुनिया को अफ़सोस की अब तक लिखी सब सोई-सी ग़ज़ल

मंजिल मिलती है तो सफ़र खोता है

ऐसा ही दस्तूरे जमाना होता है मंजिल मिलती है तो सफ़र खोता है. एक और एटम  बम पर हो खर्च करोड़ों और दूसरी और भूख से शिशु रोता है. नेताओं में अद्भुत भाईचारा होता है एक लगाता कालिख है, दूजा धोता है. हाथ लगेगी सिर्फ  हताशा ,मिलेंगे ग़म कोरे सपनों की फसलें जो बोता है. संतुष्टि के मोती हासिल होते हैं उनको ही खतरों के सागर  में लगाते जो गोता हैं. नेताओं-अफसरों आओ फसल काट लो मर-मर के खेतों को मैंने जोता है. आँखें बरसी, पानी की जब बूँद ना बरसी, टूट पड़ा ,खेतों को जिसने मर-मर कर जोता है. जीवन के हर दर्शन को रट कर के भी जीवन को जो ना समझे वो तोता है.